रिश्ता पति पत्नी का😘😘
पति-पत्नी का रिश्ता सबसे मजबूत माना जाता है, लेकिन कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें महिलाएं भले ही एक्सप्रेस न करें, लेकिन वे उम्मीद करती हैं कि उनके पति उन्हें समझें और उनका साथ दें।पति-पत्नी के बीच का रिश्ता ऐसा होता है कि वह एक-दूसरे की भावनाएं बिना कहे ही समझ जाते हैं।' यह बात वास्तविक कम और काल्पनिक ज्यादा सुनाई पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पति खुद इस बात की शिकायत करते दिख जाते हैं कि उनकी पत्नियां उम्मीद करती हैं कि उनके कहे बगैर वह बातों को समझ जाएं, जो उन्हें फ्रस्टेट कर देता है। अगर आप भी ऐसे ही एक पति हैं, तो हम आपकी यह जानने में थोड़ी बहुत मदद तो कर ही सकते हैं कि कौन सी ऐसी बातें या स्थितियां हैं, जिन्हें लेकर हर पत्नी उम्मीद करती है कि उनका पति बिना कहे उन्हें समझ जाए।यकीन मानिए, ज्यादातर शादीशुदा महिलाएं अक्सर मन में यह बात कहती हैं। इसके पीछे दो अहम कारण होते हैं। पहला तो यह कि पति बार-बार चीजों को लेकर पत्नी की मां से तुलना करते हैं। दूसरा, वह शादी के बाद पत्नी पर उसी तरह निर्भर हो जाते हैं, जिस तरह वह मां पर हुआ करते थे ; जैसे ऑफिस के लिए कपड़े तैयार करना, खाना देना, खाना बनाना, सामान लाना आदि।
वह यह भूल जाते हैं कि मां की जगह कभी भी कोई भी नहीं ले सकता है और ना ही पत्नी मां की जगह लेने की कोशिश करती है, ऐसे में तुलना किया जाना उन्हें अच्छा महसूस नहीं करवाता। वहीं शादी जिंदगीभर की पार्टनरशिप होती है, जिसमें दोनों को हर चीज में बराबरी का सहयोग देना होता है। अगर यह बैलेंस बना रहे, तो यह दोनों की इमोशनल और मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा होता है।शादी के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे के सपोर्ट सिस्टम के रूप में काम करते हैं। अगर इनमें से एक भी अपना कॉन्ट्रिब्यूशन कम रखे, तो दूसरे के लिए परेशानी आना तय है। पत्नी उम्मीद करती है कि इमोशनल और अन्य फ्रंट पर पति उसका साथ दे। उदाहरण के लिए कई महिलाओं को परिवार को आगे नहीं बढ़ाने, शादी के बाद भी करियर पर ध्यान देने, रिश्तेदारों के बीच ज्यादा ऐक्टिव न रहने जैसी चीजों को लेकर इनडायरेक्ट ताने मारे जाते हैं।
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इस स्थिति में महिला शांति बनाए रखने के लिए उन्हें इग्नोर करती है, लेकिन यह उन्हें मानसिक रूप से बुरी तरह प्रभावित करता है। अगर इस स्थिति में पति बीच में आकर पत्नी को सपोर्ट करे, तो न सिर्फ रिश्तेदारों की बोलती बंद हो जाएगी, बल्कि वह भविष्य में भी ऐसी बातें कहने से बचेंगे। साथ ही पत्नी को अपना आत्मसम्मान कायम रखने में भी मदद मिलेगी।शादी के बाद ज्यादातर रिश्तों में कड़वाहट तब आती है, जब कपल एक-दूसरे के लिए समय निकालना कम कर देते हैं। जब साथ में टाइम ही स्पेंड नहीं करेंगे, तो भला बॉन्ड स्ट्रॉन्ग कैसे रह सकता है। अक्सर देखा जाता है कि पति अपने ऑफिस का टेंशन भुलाने, घर-परिवार की दुनिया से ब्रेक लेने के लिए दोस्तों के साथ हैंगआउट करते हैं या फिर किसी ट्रिप पर जाते हैं।
कई बार वह घर पर होकर भी मोबाइल में भिड़े रहते हैं, जिसे वह अपना रिलैक्सिंग टाइम कहते हैं। लेकिन पत्नी का क्या? उसे तो ऑफिस के साथ ही घर भी देखना होता है, ऐसे में उसका मी-टाइम बिल्कुल खत्म हो जाता है। अगर पत्नी हाउस वाइफ है, तो भी उसके पास घर से जुड़े कई काम होते हैं, जिनमें पूरा दिन चला जाता है। इस स्थिति में पति भी उन्हें टाइम न दे, तो उन्हें ऐसा महसूस होता है, जैसे वह ऑफिस की तरह ही घर पर भी कोई कर्मचारी ही हैं, जो बस अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाए जा रही हैं।कई ऐसी पत्नियां हैं, जो यह महसूस करती हैं कि उनके पति उन्हें For granted लेते हैं। यह तो फैक्ट है कि शादी के बाद कपल जिंदगीभर के कमिटमेंट की बात सोच एक-दूसरे को लेकर ज्यादा रिलैक्स्ड फील करने लगते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पत्नी को इम्पॉर्टेंस या प्यार शो करना बंद कर दिया जाए।
वह जो कर रही हैं, वह आपके और घर के लिए ही है, ऐसे में इसे 'उनकी जिम्मेदारी है' का नाम देकर इग्नोर न करें। वह आपसे प्यार करती हैं इसलिए बदले में केयर और प्यार की उम्मीद करती हैं। अगर उन्हें यह महसूस ही नहीं होगा, तो वह शादीशुदा जिंदगी में खुश नहीं रह सकेंगीं।घर, परिवार, ऑफिस, इस सबके बीच में कपल ऐसा फंस जाता है कि वह खुद के लिए समय निकालना ही भूल जाता है। खासतौर से पति जिम्मेदारियों के चक्कर में पत्नी के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करने जैसी चीज पर ध्यान नहीं देते। सभी जिम्मेदारियों को पत्नी भी समझती है, लेकिन फिर भी कपल होने के नाते उन्हें भी लगता है कि वह पति के साथ थोड़ा अकेले समय बिताएं। ऐसा नहीं होने पर पत्नी अकेलेपन महसूस करती है, जो इमोशनल बॉन्ड पर भी नकारात्मक असर डालने लगता है।
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